मां दुर्गा के नौ स्वरूप देते हैं हमें ये सीख? 

इस साल चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च से हो रहा है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों से भक्त नौ सीख प्राप्त कर सकते हैं.

मां दुर्गा का शैलपुत्री रूप धैर्य और सहनशीलता का प्रतीक है. मां शैलपुत्री से यह सीख मिलती है कि जिस तरह से पहाड़ मजबूत होते हैं, उसी तरह रिश्तों की नींव मजबूत होनी चाहिए.

मां ब्रह्मचारिणी संयम और तप का प्रतीक हैं. माता रानी के इस स्वरूप से हमें सीख मिलती है कि रिश्तों में धैर्य और समर्पण होना चाहिए.

मां चंद्रघंटा भक्ति और सेवा का रूप हैं, जो हमें समाज के लिए सेवा का भाव सिखाता है. मां चंद्रघंटा रिश्ते में संतुलन का प्रतीक भी हैं.

माता कूष्मांडा साहस का प्रतीक है. देवी दुर्गा यह रूप सृष्टि के सृजन और संचालन का प्रतीक है. 

देवी स्कंदमाता प्रेम,दया, करुणा और देखभाल का प्रतीक हैं, जो मातृत्व के गुण को दर्शाती हैं. देवी स्कंदमाता ने देवासुर संग्राम में सेनापति की भूमिका अदा की थी. ये लीडरशिप क्वालिटी को अपनाने की सीख देता है.

माता कात्यायनी धर्म और न्याय का प्रतीक हैं. उनसे सीख मिलती है कि रिश्तों में एक-दूसरे के लिए खड़े होना चाहिए. एक-दूसरे का सम्मान करना जरूरी है.

मां कालरात्रि हमें नकारात्मक चीजों का त्याग करने और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देती हैं. उनसे सीख मिलती है कि रिश्तों में मुश्किल समय आने पर भी साथ रहना चाहिए.

माता महागौरी पवित्रता का प्रतीक हैं. माता के इस रूप में क्षमा और शांति का गुण है, जो हमें सिखाता है कि रिश्तों में एक-दूसरे को माफ करना और साफ दिल रखना जरूरी है.

माता सिद्धिदात्री रूप आत्मसमर्पण का प्रतीक है. इस रूप से ये सीख मिलती है कि रिश्तों में एक-दूसरे को महत्व देना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए. तभी रिश्ते सफल होते हैं.