क्या आप जानते हैं कैसे जन्मे हमारे चांद मामा
चांद से हमारा पहला परिचय अक्सर दादी-नानी की कहानियों में होता है. और तब से ही एक सवाल मन में घर कर लेता है कि आखिर हमारे प्यारे चांद मामा जन्मे कैसे?
चांद कैसे जन्मा... इस सवाल को हल करने में वैज्ञानिकों ने बहुत समय और पैसा खर्च किया है. खासकर कि 1960 के बाद से चांद के बारे में जानने की कवायद तेज हुई.
इससे पहले चांद के जन्म के बारे अलग-अलग थ्योरी प्रचलित थीं. कैप्चर थ्योरी के हिसाब से चांद सोलर सिस्टम में घूमने वाला एक तारा था जो एक दिन धरती के पास से गुजरा और गुरुत्वातर्षण ने उसे अपनी तरफ खींच लिया.
अक्रिशन हाइपोथिसिस के हिसाब से पृथ्वी के बनने के साथ ही चांद भी बना था. वहीं, फिजन थ्योरी के मुताबिक, पृथ्वी जब अपने अक्ष पर घूमती है तो उससे कई तरह के मैटेरियल अलग होते हैं और इन्हीं से मिलकर चांद बना और पृथ्वी की परिक्रमा करने लगा.
लेकिन साल 1976 के बाद, जब NASA ने अपोलो मिशन शुरू किया तो इस सवाल का सटीक जवाब मिला. इस मिशन में अंतरिक्ष यात्री चांद से चट्टान के टुकड़े धरती पर लेकर आए.
इन टुकड़ों पर हुई रिसर्च से पता चला कि लगभग 450 करोड़ साल पहले पृथ्वी और 'थिया' ग्रह के बीच हुई टक्कर से चांद जन्मा था. इस टक्कर से बहुत ज्यादा गर्मी पैदा हुई, जिसने पत्थरों को पिघला दिया.
इस टक्कर में गर्म गैस और भारी मलबा भी निकला और यह गैस और मलबा अंतरिक्ष में उड़ते हुए पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने लगा.
माना जाता है कि इससे ही एक डिस्क जैसी आकृति अस्तित्व में आई, जिसे आज हम चांद के नाम से जानते हैं.