चांद नहीं होता तो क्या हमारा कैलेंडर भी नहीं होता?
हमारे यहां दिन, समय, या महीने की गणना करने में चांद की अहम भूमिका होती है.
देश-दुनिया में बनने वाले बहुत से कैलेंडर चांद पर निर्भर करते हैं. हालांकि, प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा के अनुसार काम करता है.
पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 46 सेकंड का समय लगता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर आमतौर पर इसी चक्र पर आधारित है.
लेकिन इस्लामिक हिजरी कैलेंडर ग्रेगोरियन सौर कैलेंडर के बिल्कुल विपरीत है. हिजरी कैलेंडर पूरी तरह से लूनर सायकल का अनुसरण करता है.
हिजरी कैलेंडर में 12 चंद्र महीने होते हैं. यह सोलर कैलेंडर से अलग होता है.
वहीं, हिंदू कैलेंडर इन दोनों कैलेंडरों से अलग है. हिंदू कैलेंडर सोलर और लूनर, दोनों कैलेंडरों को ध्यान में रख कर बनता है.
हिंदू कैलेंडर में एक सौर साल (Solar Year) होता है, लेकिन इस एक साल को 12 चंद्र महीनों (Lunar Months) में बांटा जाता है.
एक चंद्र मास 29.5 दिनों का होता है, जिससे एक चंद्र वर्ष में 354 दिन 8 घंटे 48 मिनट और 36 सेकंड का होता है. जबकि सौर वर्ष 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 46 सेकंड का होता है.
इसका मतलब है कि 31 चंद्र महीने 30 सौर महीनों के बराबर होते हैं. दोनों को समायोजित करने के लिए हर 30 महीने के बाद यानी लगभग हर 2.5 साल में एक अतिरिक्त महीना आता है और इस अतिरिक्त माह को 'अधिक मास' कहा जाता है.
कैलेंडर में चांद की परिक्रमा के आधार पर महीने दो पक्षों में बंटे हैं- 15 दिन का कृष्ण पक्ष और 15 दिन का शुक्ल पक्ष.