जानिए चंदा मामा के बारे में 10 रोचक बातें

 सौर मंडल में चंद्रमा से भी बड़े चार और उपग्रह मौजूद हैं. इनमें सबसे बड़ा बृहस्पति ग्रह के पास स्थित है.

वैज्ञानिकों की मानें तो चंद्रमा की सतह पर धूल का गुबार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर मंडराते रहता है. ऐसा क्यों होता है, यह रहस्य बना हुआ है.

प्रत्यके वर्ष चंद्रमा धरती से 3.78 सेमी दूर होता जा रहा है. 50 अरब वर्ष तक ऐसा ही होता रहा तो धरती की परिक्रमा करने में चंद्रमा 47 दिन लगाएगा.

चंद्रमा पर पहुंचकर इंसान का वजन घट जाता है. धरती पर उसके वजन की तुलना में यह 1/6 वां भाग होता है. 

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा गोल नजर आता है लेकिन असल में यह किसी गेंद की तरह गोल नहीं होकर अंडाकार है.

यदि आप कभी भी चांद देखते हैं तो उसका अधिकतम 59 फीसद हिस्सा ही देख पाते हैं. यानी चांद का 41 फीसद हिस्सा धरती से नजर नहीं आता.

चांद पर मौजूद इंपैक्ट क्रेटर यानी गहरे गड्ढे अब से चार अरब साल पहले आकाशीय पिंडों की टक्कर से बने हैं.

चंद्रमा से जुड़ा ब्लू मून शब्द 1883 में इंडोनेशियाई द्वीप क्राकातोआ में हुए ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से इस्तेमाल में आया.

जब चंद्र ग्रहण लगता है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है तो उसकी सतह का तापमान 500 डिग्री फॉरेनहाइट तक गिर जाता है.

चांद का दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र जहां हमारा चंद्रयान-3 पहुंचा है, उसे बेहद रहस्यमयी माना जाता है.