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चातुर्मास का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है. चातुर्मास में हिंदू कैलेंडर के हिसाब से चार महीने शामिल होते हैं.
आपको बता दें कि चार महीने- सावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह- को चातुर्मास कहा जाता है. इन चार महीनों में कोई शुभ काम नहीं होता है.
चातुर्मास देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक होता है. तब तक शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहता है. यह प्रतिबंध चार महीनों तक रहता है.
इन चार महीनों में पहला महीना सावन का होता है जो भगवान शिव को प्रिय है. सावन के पावन महीने में भगवान शंकर की विशेष कृपा भक्तों पर रहती है.
मान्यता है कि सावन में भगवान शंकर का पूजन करने मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
सावन महीने में मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा का विधान है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है.
श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिए सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किए जाते हैं.
सावन में भोलेनाथ का पार्थिव पूजन, शिव सहस्त्रनाम का पाठ, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक बिल्वपत्र चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होगी.
इस महीने में शिव-गौरी की पूजा करने से कन्याओं को उनका मनचाहा वर मिलता है और वैवाहिक जीवन की मुश्किलें खत्म होती हैं.