दीपिका कुमारी 13 जून 1994 को झारखंड की राजधानी रांची में दीपिका कुमारी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था.
दीपिका एक समान्य परिवार से थी, इसलिए शुरुआत में तीरंदाजी करने के लिए उनके पास जरूरी साधन नहीं थे.
फिर भी वह खुद बांस के डंडों से धनुष और तीर बनाकर निशाना लगाया करती थी. पिता ने अपनी बेटी को इतनी मेहनत करते देख तीरंदाजी की कोचिंग दिलवाने का फैसला किया.
वजन कम होने से उनको अकादमी में प्रवेश न मिला. लेकिन दीपिका ने कठिन परिश्रम करके केवल 6 महीने बाद साल 2005 में अर्जुन तीरंदाजी अकादमी में प्रवेश ले लिया.
साल 2006 में उन्होंने टाटा तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन कर तीरंदाजी के बहुत जबरदस्त दांव-पेच सीखे. यहीं से उनके मेडल जीतने का पेशेवर सफर शुरू हुआ.
साल 2006 में दीपिका ने मेक्सिको में आयोजित हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में एकल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर अपना पहला मेडल जीता था.
साल 2009 में उन्होंने अमेरिका के ओग्डेन में आयोजित 11वीं युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप जीती. दीपिका यह खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय थी.
साल 2010 के एशियन गेम्स में दीपिका ने ब्रोंज मेडल जीता. इसी साल कॉमनवेल्थ खेलों में दीपिका ने व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड और महिला रिकर्व टीम में भी गोल्ड मेडल जीता था.
साल 2011 के इस्तांबुल विश्व कप में उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया था. इसी साल हुई टोरिनो विश्व चैंपियनशिप में भी महिला रिकर्व टीम में दीपिका ने सिल्वर मेडल जीता.
साल 2012 के टोक्यो विश्व कप में सिल्वर मेडल और मेडेलिन विश्व कप में गोल्ड मेडल जीता था. इसी साल दीपिका विश्व तीरंदाजी रैंकिंग में विश्व नंबर 1 पर थी.
साल 2013 में तुर्की के अंताल्या विश्व कप में गोल्ड मेडल और शंघाई विश्व कप में सिल्वर मेडल जीता था. इसी साल कोलंबिया में आयोजित तीरंदाजी विश्व कप दीपिका ने गोल्ड मेडल जीता था.
साल 2015 के कोपेनहेगन विश्व चैंपियनशिप में दीपिका ने महिला टीम के लिए सिल्वर मेडल जीता.
साल 2018 के साल्ट लेक सिटी विश्व कप में गोल्ड मेडल और तुर्की विश्व कप में महिला रिकर्व टीम में ब्रोंज मेडल हासिल किया था.