डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर हैं साधु

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प्रयागराज में महाकुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. निरंजनी अखाड़ा अपने संतों की वजह से इन दिनों चर्चा में है. इस अखाड़े के संत सबसे ज्यादा पढ़े लिखे हैं. चलिए उनके बारे में बताते हैं.

निरंजनी अखाड़े की शुरुआत साल 860 हुई थी. इसका पूरा नाम 'श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा' है. इसका मुख्यालय हरिद्वार के मायापुर में स्थित है.

निरंजनी अखाड़ा देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में से एक है. इस अखाड़े के ज्यादातर संत पढ़े लिखे हैं.

इस अखाड़े के ज्यादातर साधु-संत डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वकील हैं. जैसे आदित्यानंद गिरि एमबीबीएस और ओमकार गिरि इंजीनियर हैं.

इस अखाड़े में संन्यास की दीक्षा योग्यता के आधार पर दी जाती है. संस्कृत के विद्वान और आचार्य यहां विशेष स्थान रखते हैं.

अखाड़े का नेतृत्व 'पंच परमेश्वर' करते हैं. इनके साथ आठ श्री महंत, आठ उप श्री महंत और चार सचिव अखाड़े के संचालन में मदद करते हैं.

अखाड़े के पदाधिकारियों का चयन अर्धकुंभ और महाकुंभ के दौरान चुनाव के जरिए किया जाता है. अर्धकुंभ 6 साल और महाकुंभ 12 साल में लगता है.

अखाड़े में संन्यास लेने के लिए पांच साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है. इसके बाद ही किसी को दीक्षा दी जाती है.

अखाड़े के नियमों के तहत कोई भी अपराधी या माफिया इसमें शामिल नहीं हो सकता. साधु बनने के लिए साक्षात्कार और योग्यता दोनों जरूरी है.

महापुरुष बनने के लिए साधुओं को अपने गुरु की सेवा करनी होती है. इसमें कपड़े धोने, बर्तन साफ करने और भोजन बनाने जैसे काम शामिल हैं.