पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर दीवाली मनाई जाती है.
दीपावली दीपों का त्योहार है और दीवाली के दिन सभी दीप जलाते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीराम रावण का वध करने के पश्चात जब अयोध्या लौटे थे तो सभी ने खुशी में घी के दीये जलाए थे.
लेकिन दीया जलाने से जुड़े भी बहुत से नियम हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है.
दीया जलाने की सही दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. वरना लक्ष्मी मां नाराज हो जाती हैं.
दिवाली पर दक्षिण दिशा में दीप जलाना शुभ नहीं माना जाता है. इसे यमराज की दिशा मानते हैं और कहते हैं इस दिशा में दीप नहीं जलाना चाहिए.
दीया जलाने की सबसे अच्छी दिशा उत्तर पूर्व दिशा या ईशान कोण मानी जाती है. ईशान कोण की तरफ दीये का मुख रखा जा सकता है.
सबसे पहले घर के मंदिर में मां लक्ष्मी के सामने दीया जलाना शुभ होता है.
तुलसी के पौधे के पास दीया रखना भी शुभ होता है. ऐसा करने पर घर में सुख और खुशहाली आती है.
इसके अलावा एक दीपक रसोई के अंदर रखना चाहिए. ऐसा करने पर मां अन्नापूर्णा का आशीर्वाद मिलता है.
दीपावली पर लोग मोमबत्ती और बिजली वाले दीये घर में लगा देते हैं. लेकिन तेल या घी से जले दीये शुभ होते हैं.
दीये की गोल बाती की जगह लंबी बाती लगाएं. इसे शुभ माना जाता है.
महालक्ष्मी-कुबेर को प्रसन्न करने के लिए घर की तिजोरी या पैसे रखने की जगह पर दीया जलाएं. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.