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बच्चे सबसे ज्यादा नजदीक अपने माता-पिता के होते हैं. बचपन में हुई छोटी-छोटी बातें उन्हें जिंदगी भर याद रह सकती है.
कई बार मज़ाक में की गईं बातें बच्चों के कोमल मन पर गहरा असर डाल सकता हैं.
पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ भूल कर भी कुछ बातों पर कभी भी मजाक नहीं करना चाहिए.
जैसे अपने बच्चे की फिजिकल अपीयरेंस को लेकर कभी मज़ाक न बनाएं. चाहे हाइट हो, रंग हो या वजन, किसी भी तरह उन्हें छोटा महसूस न कराएं.
ऐसा करने से वे खुद की सेल्फ एस्टीम खो सकते है और खुद के प्रति मन में आशंका भी आ सकती है.
कोई बच्चा पढ़ाई में ज्यादा अच्छा होता है कोई नहीं. उनकी एकेडमिक परफॉर्मेंस को लेकर मज़ाक न करें. न ही दूसरों से कभी तुलना करें.
किसी बच्चे को कुछ खेलना पसंद होता है तो किसी को ड्राइंग, सबके अलग -अलग इंटरेस्ट और हॉबी होती है. उनके इंटरेस्ट और हॉबी का मज़ाक न बनाएं. उन्हें वह करने दे जो उन्हें पसंद है.
बच्चे काफी मासूम होते है, बड़ो के मुताबिक उनके अंदर अलग तरीके के इमोशन होते है. गलती से भी बच्चों के इमोशन्स का मजाक ना बनाए.
बच्चा ज्यादा बोलता हो या कम, ज्यादा हंसता हो या चिल्लाता हो, उनकी पर्सनैलिटी को लेकर हंसे नहीं.