हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है.
होलिका दहन से कुछ दिन पहले लकड़ियां इकट्ठा की जाती हैं, जिसके बाद होली के एक दिन पहले विधि-विधान से पूजा पाठ करने के बाद होलिका दहन किया जाता है.
लेकिन होलिका दहन के लिए लकड़ियों का चुनाव बेहद सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि कुछ पेड़ ऐसे भी होते हैं जिनका इस्तेमाल होलिका दहन में नहीं किया जाता है.
इन लकड़ियों के इस्तेमाल से भगवान नाराज हो जाते हैं. आइए जानते हैं कौन से पेड़ की लकड़ियों का होलिका दहन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन के लिए आम की लकड़ी का भूलकर भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना गया है.
इसके अलावा होलिका दहन के लिए वट के पेड़ की लकड़ी जलाना भी अशुभ माना गया है. इसलिए वट के पेड़ की लकड़ी भूलकर भी ना लाएं.
होलिका दहन के लिए एरंड और गूलर के पेड़ की लकड़ियां उपयोग की जाती हैं. इनका उपयोग करना शुभ माना गया है.
मान्यताओं के अनुसार एरंड और गूलर की लकड़ी की यह खासियत है कि इन्हें जलाने से हवा शुद्ध होती है.
होलिका दहन के लिए लकड़ियों के साथ ही गाय के गोबर से बने छोटे-छोटे उपले भी उपयोग किए जाते हैं जिन्हें भल्ले कहा जाता है. इनका उपयोग करना शुभ माना गया है.