मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा का जन्म 14 जून 1928 को अर्जेंटीना के रोसारियो में हुआ था. चे ग्वेरा को बचपन से दमा की बीमारी थी.
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चे ग्वेरा वामपंथी कट्टरवाद के आइकॉन बने. उनको साम्राज्यवाद के धुर विरोधी के तौर पर जाना जाता है.
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चे ग्वेरा का मानना था कि विकासशील दुनिया में गरीबी दूर करने का एकमात्र रास्ता सशस्त्र क्रांति से समाजवादी सरकार बनाना है.
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23 साल की उम्र में चे ने बाइक से दक्षिण अमेरिकी देशों की यात्रा की और उनकी बदहाली देखी. इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'द मोटरसाइकिल डायरीज' में की.
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चे ग्वेरा ने क्यूबा क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी. चे और फिदेल कास्त्रो ने 100 लड़ाकों के साथ मिलकर सरकार को उखाड़ फेंका था.
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33 साल की उम्र में ग्वेरा को क्यूबा सरकार में मंत्री बनाया गया. साल 1959 में वो भारत आए थे.
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क्यूबा छोड़ने के बाद 37 साल की उम्र में चे ग्वेरा ने अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में गुरिल्ला युद्ध का नेतृत्व किया.
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साल 1967 में सीआईए की मदद से बोलीवियाई सेना ने चे ग्वेरा को पकड़ लिया और मार दिया.
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चे ग्वेरा ने गुरिल्ला युद्ध में अपनाए गए तरीकों और सिद्धांतों के बारे में लिखा था.
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चे ग्वेरा को पढ़ने और शतरंज खेलने का बहुत शौक था. इस क्रांतिकारी को मछली पकड़ने भी शौक था.
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