वामपंथी क्रांति के आइकॉन चे ग्वेरा का सफर

मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा का जन्म 14 जून 1928 को अर्जेंटीना के रोसारियो में हुआ था. चे ग्वेरा को बचपन से दमा की बीमारी थी.

Courtesy: Wikipedia

चे ग्वेरा वामपंथी कट्टरवाद के आइकॉन बने. उनको साम्राज्यवाद के धुर विरोधी के तौर पर जाना जाता है.

Courtesy: Wikipedia

चे ग्वेरा का मानना था कि विकासशील दुनिया में गरीबी दूर करने का एकमात्र रास्ता सशस्त्र क्रांति से समाजवादी सरकार बनाना है.

Courtesy: Wikipedia

23 साल की उम्र में चे ने बाइक से दक्षिण अमेरिकी देशों की यात्रा की और उनकी बदहाली देखी. इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'द मोटरसाइकिल डायरीज' में की.

Courtesy: Wikipedia

चे ग्वेरा ने क्यूबा क्रांति में अहम भूमिका निभाई थी. चे और फिदेल कास्त्रो ने 100 लड़ाकों के साथ मिलकर सरकार को उखाड़ फेंका था.

Courtesy: Wikipedia

33 साल की उम्र में ग्वेरा को क्यूबा सरकार में मंत्री बनाया गया. साल 1959 में वो भारत आए थे.

Courtesy: Wikipedia

क्यूबा छोड़ने के बाद 37 साल की उम्र में चे ग्वेरा ने अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में गुरिल्ला युद्ध का नेतृत्व किया.

Courtesy: Wikipedia

साल 1967 में सीआईए की मदद से बोलीवियाई सेना ने चे ग्वेरा को पकड़ लिया और मार दिया.

Courtesy: Wikipedia

चे ग्वेरा ने गुरिल्ला युद्ध में अपनाए गए तरीकों और सिद्धांतों के बारे में लिखा था.

Courtesy: Wikipedia

चे ग्वेरा को पढ़ने और शतरंज खेलने का बहुत शौक था. इस क्रांतिकारी को मछली पकड़ने भी शौक था.

Courtesy: Wikipedia