वो ‘मशहूर ठग’ जिसने बेच दिया था ताजमहल

प्यार की निशानी के रूप में प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में करवाया था.

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ताजमहल का इतिहास तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ताजमहल को एक ठग ने तीन बार बेच दिया था. आइए जानते हैं उसके बारें में.

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ताजमहल को तीन बार बेचने वाले नटवरलाल का जन्म साल 1912 में बिहार के सीवान जिले में हुआ था. नटवरलाल का असली नाम मिथिलेश श्रीवास्तव था.

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ठगी के मास्टर नटवर लाल ने 3 बार आगरा का ताजमहल, दो बार लाल किला, एक बार राष्ट्रपति भवन और एक बार संसद भवन तक को बेच दिया था. 

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नटवरलाल ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद तक के नाम का इस्तेमाल अपनी ठगी के लिए किया.

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कभी वित्तमंत्री तो कभी यूपी के सीएम के नाम पर यह ठग अलग-अलग शहरों में बड़े-बड़े दुकानदारों का चूना लगाता था.

कहते हैं कि नटवर लाल के 52 नाम थे, उनमें से एक नाम नटवर लाल था. सरकारी कर्मचारी का भेष में नटवर लाल ने विदेशियों को ये सारे स्मारक बेचे थे.

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सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशकों में एक के बाद एक कई ठगी की घटनाओं को अन्जाम देकर नटवरलाल भारत का कुख्यात ठग बन गया.  

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भारत के 8 राज्यों में 100 से अधिक मामलों में नटवरलाल का नाम ‘मोस्ट वॉन्टेड’ की सूची में था.  

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वह अपने जीवनकाल में 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन हर बार किसी न किसी तरह पुलिस की चंगुल से भाग निकला.  

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