फ़िराक़ के ये शेर पढ़कर बन जाएगा आपका दिन 

रघुपति सहाय "फ़िराक़" को उनके शायरी के उपनाम "फ़िराक़" गोरखपुरी के नाम से जाना जाता है. 

फ़िराक़ उर्दू भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार थे और उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था. 

आज पढ़िए उनके कुछ मशहूर शेर, जिन्हें पढ़कर आप भी कहेंगे- वाह! क्या बात है. 

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं.

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं.

मौत का भी इलाज हो शायद ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं. 

ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में. 

शाम भी थी धुआं धुआं हुस्न भी था  उदास उदास दिल को कई कहानियां याद सी आ  के रह गईं.

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका.