जीवन बदल देंगे भगवान शिव के ये पांच संदेश 

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भगवान शिव को देवों के देव महादेव ही नहीं कहा जाता, बल्कि उन्हें उनके व्यक्तित्व के कई गुणों की वजह से भी सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.

भगवान शिव कभी सौम्य-शांत हैं, तो कभी अत्यंत क्रोधी. ऐसे में उनके व्यक्तित्व से सीखा जा सकता है कि कैसे जीवन में संतुलन लाना है. 

भगवान शिव के बारे में जितना आप जानेंगे उतना ही उनके विचारों से प्रभावित होंगे. और अगर आप उनके विचारों को फॉलो करें तो जीवन में सफलता पक्की है. 

आज जानिए पांच बड़े संदेशों के बारे में जो भगवान शिव से हमें मिलते हैं और जिन पर चलकर हम अपनी मंजिल पा सकते हैं. 

नकरात्मकताओं से गुजरते हुए भी सकरात्मक बने रहना समुद्र मंथन से निकला विष महादेव ने पिया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया. इससे सबक मिलता है कि हम भी जीवन में आने वाली नकरात्मक चीजों को अपने अंदर रखकर या इससे गुजरते हुए भी जीवन की सकरात्मकता बनाए रख सकते हैं.

शांत रहकर खुद को नियंत्रित रखना शिव से बड़ा कोई योगी नहीं हुआ. महादेव एक बार ध्यान में बैठ जाएं, तो दुनिया इधर से उधर हो जाए, लेकिन उनका ध्यान कोई भंग नहीं कर सकता है. शिव का यह गुण हमें जीवन की चीजों पर नियंत्रण रखना सिखाता है.

जीवन के हर रूप को खुलकर जीना शिव की जीवन शैली हो या उनका कोई अवतार, वे हर रूप में बिल्कुल अलग हैं. फिर वो रूप तांडव करते हुए नटराज हों, विष पीने वाले नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, सबसे पहले प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ का हो. वे हर रूप में जीवन को सही राह देते हैं. 

बाहरी सुंदरता की जगह गुणों को चुनना शिव का संपूर्ण रूप देखकर यह संदेश मिलता है कि हम जिन चीजों को अपने आस-पास देख भी नहीं सकते, उसे उन्होंने बड़ी आसानी से अपनाया है.

अपनी प्राथमिकताओं को समझना भगवान शिव को हमेशा से अपनी प्राथमिकताओं का भान रहा. उन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम और सम्मान को सबसे ऊपर रखने के साथ अपने मित्र और भक्तों को भी उचित स्थान दिया.