एक वक्त था जब गौरेया का हर घर में बसेरा हुआ करता था मगर आज पक्षियों की इस प्रजाति पर काफी संकट है.
आज के समय में तेज़ी से निर्माण होते भवनों के बीच लोगों को इस बात की चिंता नहीं है कि लुप्त होती गौरैया को कैसे बचाया जाए.
आइए जानें कैसे हम गौरैया को बचा सकते हैं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़िया गौरैया की चहचहाहट सुन पाएं.
गौरैया को बचाना दरअसल खुद को बचाना है. क्योंकि तेजी से विलुप्त होती गौरैया इस बात का संकेत है कि हमारे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है.
ऐसे में हमें इसके संरक्षण के लिए आगे आना ही होगा. गौरेया हमारी फसलों को भी कीड़ों से बचाती है.
गौरैया को वापस बुलाने के लिए घर की छत पर दाना, पानी रखें और घर के आस-पास पेड़-पौधे लगाएं, क्योंकि यही गौरैया का प्राकृतिक परिवेश है.
गौरैया को बचाने के लिए आप मार्केट में बने आर्टिफीशियल घोंसले भी लाकर घर की छत पर रख सकते हैं.
गर्मी का मौसम आने वाला है. इसलिए घर की छत पर, पार्कों व बालकनी में बर्तन में दाना-पानी भरकर रखें.
प्रजनन के समय उनके अंडों की सुरक्षा करें.
आंगन व पार्कों में कनेर, नींबू, अमरूद, अनार, मेहंदी, बांस, चांदनी आदि के पौधे लगाएं.