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दुनिया के साथ-साथ पीढ़ियां भी बदल रही हैं. और हर पीढ़ी को एक अलग नाम से जाना जाता है.
विश्वयुद्ध दो के बाद पैदा हुई पीढ़ी को 'बेबी बूमर्स' कहा जाता है. इसके पीछे का कारण है युद्ध के बाद आबादी में आई अचानक बढ़ोत्तरी. यह वो लोग है जिन्होंने कोरपोर्ट कल्चर को बनाया और अपना जीवन काम के आस-पास ही रखा. बेबी बूमर्स की पैदाइश 1946-1964 के बीच हुई.
इसके बाद आई जेनरेशन x. यह पीढ़ी 1965-1980 के बीच पैदा हुई. यह वह पीढ़ी है जिसके आत्मनिर्भरता के साथ जाना जाता है. यह वह लोग हैं जो कंप्यूटर के आगमन के साथ बड़े हुए और वर्क लाइफ बैलेंस का आइडिया लेकर आए.
इनके बाद आए मिलिनेयल्स या जेनरेशन Y. यह पीढ़ी 1981-1996 के बीच पैदा हुई. यह वो लोग थे जिन्होंने डायल अप इंटरनेट को डिजिटिलाइजेशन में बदलते हुए देखा. इनके जमाने में स्मार्टफोन आया. साथ ही इन्होंने संपत्ति से ज्यादा अनुभव को तवज्जो दी.
इनके बाद आई जेनरेशन Z. यह पीढ़ी उन लोगों की है जिन्होंने 1997-2009 के बीच जन्म लिया है. इस पीढ़ी ने डिजिटिलाइजेशन के दौर में जन्म लिया. साथ ही इनके पास सोशल मीडिया का उपयोग करने का भी मौका मिला. इसी कारण से सोशल मीडिया पर इस पीढ़ी का काफी प्रभाव रहा.
जेनरेशन Z के बाद आई जेनरेशन एल्फा. इस जेनरेशन ने 2010-2024 के बीट जन्म लिया. यह जेनरेशन पूरी तरह से 21वीं सदी के बीच रही. साथ ही इन पीढ़ी के लोग एआई के उभरते हुए जग में रही. साथ ही इन्हें स्मार्ट टेक्नोलॉजी के बीच रहने का मौका मिला. जिससे इनकी पढ़ाई-लिखाई पर काफी असर पड़ा.
जेनरेशन एल्फा के बाद जेनरेशन बीटा आई. यह वह लोग हैं जो 2025 से पैदा होना शुरू होंगे. इन लोगों के पास पहले ही टेक्नोलॉजी और एआई की भरमार रहेगी. जिसके कारण यह पीढ़ी काफी हद तक टेक्नोलॉजी के संपर्क में रहेगी. और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इसका इस्तेमाल करेगी.