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दिवाली की रात एक ओर जहां दीये और पटाखे जलाकर लोग दीपावली का जश्न मनाते हैं. वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग अपनी किस्मत आजमाते हैं.
कई जगह दीपावली की रात जुआ खेला जाता है.
ऐसा माना जाता है कि जो दिवाली की रात जुएं में जीतता है, उसका भाग्य साल भर साथ देता है.
ज्योतिषों के अनुसार, जुआ आज का खेल नहीं है, बल्कि यह बेहद प्राचीन समय से खेला जाता रहा है.
पहले लोग चौसर खेलते थे और समय के बदलाव के साथ अब लोग जुआ खेल रहे हैं.
कोई अपने शौक के लिए खेलता है तो कोई दीपावली के दिन किस्मत आजमाने के लिए.
ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात भगवान शिव और माता पार्वती ने भी चौसर खेला था. जिसमें भगवान शिव हार गए थे, तभी से यह परंपरा चली आ रही है.
ज्योतिषों के अनुसार, जुआ हमेशा से गलत ही रहा है. धार्मिक दृष्टि से भी जुआ खेलने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती है. घर में दरिद्रता आती है.
जुआ खेलने वालों के घर में साल भर आर्थिक समस्या बनी रहती है.