कैसे कंपाउंडर से गैंगस्टर बन गया जीवा ?

यूपी की राजधानी लखनऊ में कोर्ट परिसर में गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

संजीव जीवा को ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में कोर्ट में पेशी पर लाया गया था. वो शामली के आदमपुर का रहने वाला था.

संजीव मुजफ्फरनगर के शंकर दवाखाने में कंपाउंडर था. दवाखाने के संचालक को अगवा करके क्राइम की दुनिया में कदम रखा.

Courtesy: Social Media

90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे को अगवा कर लिया और 2 करोड़ की फिरौती मांगी.

संजीव पहले हरिद्वार के नाजिम गैंग में शामिल हुआ. उसके बाद सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ गया. बाद में उसने अपना गैंग बना लिया.

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 25 मामले दर्ज थे. जिसमें से 17 मामलों में वो बरी हो चुका था.

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संजीव जेल से भी गैंग ऑपरेट करता था. इस गैंग में 50 से ज्यादा सदस्य हैं.

साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में जीवा को उम्रकैद की सजा हुई थी. इसके साथ 3 और दोषियों को उम्रकैद हुई थी.

कृष्णानंद राय और ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव जीवा का नाम सामने आया. मुन्ना बजरंगी से भी इसके संबंध थे.

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संजय दत्त की फिल्म 'जीवा' देखकर संजीव ने अपने नाम में जीवा जोड़ लिया था.

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