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हमने बचपन से ही सुना है कि महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं. लेकिन क्या वाकई में संविधान के तहत उनको राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं मिली है. चलिए बताते हैं.
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गृह मंत्रालय का कहना है कि सरकार महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं दे सकती है. लेकिन ऐसा क्यों? जान लीजिए.
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केंद्रीय गृह मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत सवाल पूछा गया था कि गांधी जी को राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है और ये उपाधि कब दी गई थी.
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गृह मंत्रालय के मुताबिक सरकार किसी को राष्ट्रपिता का दर्जा देने की सिफारिश राष्ट्रपति से नहीं कर सकती है, क्योंकि संविधान शैक्षिक और सैन्य उपाधि के अलावा कोई उपाधि देने की इजाजत नहीं देता.
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गृह मंत्रालय के मुताबिक संविधान की धारा 18(1) में शैक्षिक और सैन्य खिताब के अलावा कोई और उपाधि देने की व्यवस्था नहीं है.
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इसका मतलब है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि संवैधानिक तौर पर नहीं मिल सकती है, क्योंकि संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है.
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महात्मा गांधी को सबसे पहले राष्ट्रपिता नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था. 6 जुलाई 1944 को नेताजी ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा था.
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर से एक रेडियो संदेश में बापू के लिए राष्ट्रपिता शब्द का इस्तेमाल किया था.
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इस तरह राष्ट्रपिता की कोई संवैधानिक वैधानिकता नहीं है. लेकिन मोहन दास करमचंद गांधी के लिए महात्मा और राष्ट्रपिता जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है.
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