घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मिलता है संतान का सुख

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे आखिरी में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम आता है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित है. इन्हें घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है. उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था. 

प्राचीन काल में शिवभक्त घुष्मा ने 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी, जिससे शिव बेहद प्रसन्न हुए थे. यही वजह है कि यहां मनोकामना पूरी होने पर 108 नहीं बल्कि 101 परिक्रमा की जाती हैं.

कहते हैं कि यहां मौजूद सरोवर, जिसे शिवालय के नाम से जाना जाता है उसके दर्शन किए बिना ज्योतिर्लिंग की यात्रा संपन्न नहीं होती है. 

मान्यता है कि जो निःसंतान दम्पति सूर्योदय से पूर्व इस शिवालय सरोवर के दर्शन के बाद घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है उन्हें जल्द संतान की प्राप्ति होती है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्वमुखी है, और सबसे पहले खुद सूर्यदेव इनकी आराधना करते हैं.

मान्यता है कि सूर्य के जरिए पूजे जाने के कारण घृष्णेश्वर दैहिक, दैविक, भौतिक तापों का धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का सुख प्रदान करते हैं. 

कहते हैं कि कलयुग में इस ज्योतिर्लिंग के स्मरण मात्र से रोगों, दोष, दुख से मुक्ति मिल जाएगी.