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लिखावट का संबंध आपकी मानसिक स्थिति से है. यह शारीरिक स्थिति को भी बताता है.
कुंडली का तृतीय भाव हाथ और अच्छी लिखावट का होता है. कुंडली में बुध और चंद्रमा अच्छी लिखावट से संबंध रखते हैं.
अलग अलग तरीके की लिखावट ग्रहों और जीवन के बारे में बता सकती है.
जो लोग बिलकुल सीधा लिखते उनका स्वभाव बहुत सख्त होता है. जीवन में संघर्ष की मात्रा ज्यादा होती है. ऐसे लोगों को शनि देव की उपासना करनी चाहिए ताकि संघर्ष कम से कम हो.
अगर लिखावट एक तरफ झुकी हुई हो तो ऐसे लोग आम तौर पर रूढ़िवादी और पुराने विचारों के होते हैं. इनको सूर्य देव की उपासना जरूर करनी चाहिए ताकि जीवन में विवाद न रहें.
अगर लिखावट के अक्षर बड़े-बड़े हों तो ऐसे लोग किसी भी मान्यता या बंधन को स्वीकार नहीं करते हैं. हमेशा दुनिया से अलग हट कर कुछ करना चाहते हैं. ऐसे लोगों को भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए.
अगर लिखावट के अक्षर छोटे-छोटे हों तो ऐसे लोग बड़े प्रेमी और रोमांटिक स्वभाव के होते हैं. बड़ी छोटी सी जगह से बड़ी ऊंचाइयों तक पहुँचते हैं .ऐसे लोगों को किसी भी रूप में ईश्वर की उपासना करनी चाहिए .
अगर लिखावट के ऊपर कोई आधार न हो तो ऐसे लोग बड़े बुद्धिमान तथा बड़े मेहनती होते हैं. ऐसे लोगों को नियमित रूप से हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए.
अगर लिखावट बहुत टेढ़ी मेढ़ी और उलझी हुई हो तो ऐसे लोगों की जिन्दगी बड़ी उलझी हुई होती है और काफी उतार चढ़ाव भरी हुई होती है. ऐसे लोगों को गायत्री मंत्र का नित्य प्रातः जाप करना चाहिए.