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'अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता' - हनुमान चालीसा की इस पंक्ति का मतलब है कि हनुमानजी 8 सिद्धियों के धनी हैं.
इन सिद्धियों के कारण ही उन्हें बहुत बलवान माना जाता है और इसी कारण उन्हें संकटमोचन कहते हैं.
पहली सिद्धि का नाम है अणिमा- इस सिद्धि को जानने वाला व्यक्ति किसी भी चीज में बड़ी ही सरलता के साथ प्रवेश कर जाता है. अपने रूप को अपने अनुसार छोटा करके व्यक्ति किसी भी चीज में प्रवेश कर जाता है, वो भी किसी को दिखाई दिए बिना.
हनुमान जी को मिली दूसरी सिद्धि का नाम महिमा है. इसका अर्थ है कि इसे प्राप्त करने वाला सिद्ध मनुष्य अपनी विद्या और तपोबल से अपना आकार बहुत ही बड़ा कर सकता है.
तीसरी सिद्धि गरिमा, जिसका अर्थ है कि इस सिद्धि को पाने वाला व्यक्ति अपने आपको कितना भी वजनी यानी भारी बना सकता है.
हनुमान जी को मिली चौथी सिद्धि लघिमा का प्रयोग करके अपने शरीर का वजन हल्का किया जा सकता है.
पांचवी सिद्धि का नाम है प्राप्ति यानी कि इस सिद्धि के होने से हर चीज को सरलता से हासिल किया जा सकता है.
छठी सिद्धि का नाम है प्राकाम्य जो ऊर्जा से जुड़ी हुई है. इस सिद्धि का उपयोग करके कोई भी मनुष्य अपनी इच्छा से पृथ्वी में समा सकता है या फिर आसमान में उड़ सकता है.
सातवीं सिद्धि का नाम है ईशित्व जिसका संबंध दैवीय शक्तियों से है. इसका अर्थ श्रेष्ठ नेतृत्व क्षमता से भी है.
हनुमान जी को आठवीं सिद्धि है वशित्व, जिसका अर्थ किसी को अपने वश या नियंत्रण में करने से है.