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श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए तीज का त्यौहार मनाया जाता है.
माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था- वृक्ष, नदियों और जल के देवता वरुण की भी उपासना इस दिन की जाती है.
मुख्य रूप से यह त्यौहार अच्छे तथा मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है. जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा हो उनके लिए इस व्रत तथा पूजा उपासना का विशेष महत्व है.
जिनका विवाह हो चुका है उन महिलाओं को तीज के दिन अपने पति के साथ मंदिर में शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए.
इस दिन उपवास रखना लाभकारी होता है. अगर व्रत न रख पायें तो सिर्फ सात्विक आहार ग्रहण करें. साथ ही, इस दिन महिलाओं को श्रृंगार जरूर करना चाहिए.
इस दिन मां पार्वती को श्रृंगार की सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद किसी सुहागन स्त्री को उस श्रृंगार की सामग्री को उपहार में दे देना चाहिए
इस दिन महिलाओं को काले सफ़ेद या भूरे वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए. तीज पर शुभ रंग के कपड़े पहनें जैसे हरा, पीला या लाल.
कुंवारी लड़कियां तीज के दिन भोलेनाथ का अभिषेक करके उनकी पूजा-अर्चना करें.
तीज के दिन शिवजी को पीले और मां पार्वती को लाल वस्त्र अर्पित करें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें.