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उत्तर प्रदेश का संभल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और समृद्ध संस्कृति के लिए मशहूर है. यह शहर मुगल काल से अपनी खास पहचान बनाए हुए है.
दिल्ली से 180 किलोमीटर दूर स्थित यह जिला पर्यटकों के लिए एक खास डेस्टिनेशन है. चलिए आपको संभल की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में बताते हैं.
संभल का कल्कि विष्णु मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि कलयुग में भगवान विष्णु का 10वां अवतार इसी जगह होगा.
मनोकामना मंदिर में बाबा राम मणि की समाधि है. मान्यता है कि यहां आने से सभी बीमारियां ठीक हो जाती हैं. मंदिर के परिसर में हनुमान, राम-सीता समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं.
संभल का घंटाघर एक ऐतिहासिक इमारत है, जो सफेद और लाल रंग में बनी है. इसके चारों ओर घड़ियां लगी हैं और यह पश्चिमी वास्तुकला का शानदार उदाहरण है.
संभल का कैला देवी मंदिर काफी फेमस है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नवरात्रि के समय यहां देवी शेर पर सवार होकर आती हैं. मंदिर परिसर में 700 साल पुराना बरगद का पेड़ भी है.
संभल का कोट किला एक प्राचीन दुर्ग है. जिसे राजपूतों ने बनवाया था. यह किला इतिहास प्रेमियों को अतीत में झांकने का मौका देता है.
जामा मस्जिद मुगल वास्तुकला का यह शानदार नमूना है. इसके खूबसूरत गुंबद और नक्काशीदार मेहराब इसे और भी खास बनाते हैं.
संभल के बाजार में स्थित चौधरी सराय, प्राचीन व्यापार का केंद्र हुआ करता था. आज भी इसकी दीवारें पुराने समय की कहानियां सुनाती हैं.
संभल का मीराबाई का मंदिर भक्तों और पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है. इसकी शांतिपूर्ण वाइब्स मन को प्रसन्न करती है.