रक्षाबंधन के पीछे की पौराणिक कहानियां

रक्षाबंधन शब्द का मतलब रक्षा यानि सुरक्षा और बंधन यानि बांधना होता है.

इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है. ये भाई की सुरक्षा और देखभाल का प्रतीक होती है.

भाई उसके बदले में बहन को उपहार देता है और उन्हें वचन देते हैं कि वे हमेशा अपनी बहन की रक्षा करेंगे.

रक्षाबंधन के पीछे कई पौराणिक कहानियां हैं. इसमें कृष्ण-द्रौपदी, यमुना और यमराज और रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूं की कहानी सबसे लोकप्रिय है. 

कहा जाता है कि एकबार श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की थी जिसके बाद से ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा.

महाभारत काल में, एक बार कृष्ण के हाथ में चोट आ गई थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी को टुकड़ा काटकर उनके हाथ में बांधा था.

इसके बाद कृष्ण ने उन्हें अपनी असीम कृपा और सहायता का वचन दिया था. यह घटना रक्षाबंधन की परंपरागत मान्यता को प्रकट करती है, जिसमें भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है.

एक और पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज और उनकी बहन यमुना के बीच भी एक रक्षाबंधन की कहानी है.

यमुना यमराज को अपना भाई मानती हैं. उन्होंने जब यमराज की कलाई में रक्षा सूत्र बांधा तो उन्होंने यमुना को अमर होने का वरदान दे दिया.

यमराज ने अपनी बहन को कभी न मरने का वरदान दिया. कहा जाता है कि जो भाई रक्षा बंधन के दिन अपनी बहन से राखी बंधवाते हैं, यमराज भी उनकी रक्षा करते हैं.

एक कहानी में कहा गया है कि मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं से सहायता मांगी थी जब उनका राज्य खतरे में था. हुमायूं ने उनकी त्वरित रूप से मदद की थी.