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अगर आप उत्तर भारत में रहते हैं और आपके पौधों को हीटवेव से खतरा है तो आधी सड़ी घास यानी मल्च (Mulch) आपके बेहद काम आ सकती है.
कटी हुई घास के अलावा पेड़ों की छाल, पत्तियां या ऑर्गेनिक कचरा भी मल्च ही कहलाता है. गर्मियों में आपके होम गार्डन के पौधों के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकती है.
मल्च मिट्टी को ढककर पानी को भाप बनने से रोकती है. इससे पौधों को लंबे समय तक नमी मिलती है.
जैसे-जैसे घास सड़ती है, ये मिट्टी में ऑर्गेनिक पदार्थ और पोषक तत्व (जैसे नाइट्रोजन, पोटैशियम) मिलाती है, जो पौधों की ग्रोथ के लिए जरूरी हैं.
सिर्फ यही नहीं, घास की एक मोटी परत खरपतवार को उगने से रोकती है, क्योंकि सूरज की रोशनी उन तक नहीं पहुंच पाती.
मल्चिंग करना बहुत आसान है. सबसे पहले ताजी कटी या गीली घास को इकट्ठा करें. अगर ये बहुत गीली है तो इसे 1-2 दिन हवा में सूखने दें ताकि ज्यादा सड़न या बदबू न हो.
इसके बाद पौधों के चारों ओर मिट्टी पर मल्च की 2-4 इंच मोटी परत बिछाएं. ध्यान दें कि घास पौधे के तने से थोड़ा दूर हो, ताकि तना सड़े नहीं.
हर कुछ महीने में घास की परत चेक करें. अगर ये सड़कर पतली हो जाए, तो नई परत डालें. ऐसी घास न डालें जिसमें बीज हों, वरना खरपतवार उग सकते हैं.
आप चाहें तो सर्दियों में भी मल्चिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. मल्च का इस्तेमाल कमपोस्ट के लिए भी किया जा सकता है. हालांकि गर्मियों में यह आपके पौधों को हीटवेव से बचाने में बेहद मददगार साबित होगा.