मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कैसे पड़ा कात्यायनी?

Photos: Pexels

नवरात्र के छठे दिन को आदिशक्ति देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है.

देवी दुर्गा ने इसी स्वरूप में महिषासुर दानव का वध किया था, इसलिए मां कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.

मां कात्यायनी का वाहन सिंह होता है और उनके हाथों में तलवार और कमल फूल होते हैं. इस दिन लाल रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सारी बाधाएं खत्म हो जाती हैं. इनकी कृपा और आशीर्वाद से भक्त अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करते हैं.

कहा जाता है कि प्राचीन काल में प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी.

हजारों वर्ष कठिन तपस्या के बाद महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और उनका नाम कात्यायनी रखा गया.

माना जाता है कि मां कात्यायनी ने देवताओं के कष्ट हरने के लिए महिषासुर से युद्ध किया. युद्ध के दौरान हुई थकान को मिटाने के लिए मां ने शहद युक्त पान का सेवन किया.

मां कात्यायनी को शहद के साथ-साथ लाल रंग अतिप्रिय है. इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल रंग के गुलाब का फूल अर्पित कर सकते है.

मां कात्यायनी कि पूजा के लिए चन्द्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना कात्यायनी शुभं दद्यात, देवी दानवघातिनी की जाप करनी चाहिए.