आखिर पल भर में कैसे रंग बदल लेता है गिरगिट  

गिरगिट के रंग बदलने की क्षमता के पीछे वैज्ञानिक कारण है. उसकी त्वचा में खास तरह की क्रोमेटोफोर्स कोशिकाएं होती हैं.

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इन्हीं की वजह से गिरगिट अपनी जरूरत के हिसाब से रंग बदलता है.

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गिरगिट की त्वचा कोशिकाओं की ऊपरी परत में मौजूद नैनो क्रिस्टल की जाली को परिवर्तित या कहें कि पुनर्व्यवस्थित करके अपने रंग में परिवर्तन करते हैं.

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ये कोशिकाएं छोटे क्रिस्टल की होती हैं जो कि ग्वानिन से बनी होती हैं.

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त्वचा में मौजूद पिगमेंट की सहायता से गिरगिट अलग-अलग तरह के रंग अपनी जरूरत के हिसाब से धारण करता है.  

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गिरगिट के रंग बदलने के पीछे का मुख्य कारण खुद की सुरक्षा है.

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जब भी वह किसी तरह का खतरा महसूस करता है तो अपने बचाव के लिए वह रंग बदलता है.

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इसके अलावा शिकार करने और मादा गिरगिट को आकर्षित करने के लिए नर गिरगिट के द्वारा भी रंग बदला जाता है.  

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वह हरे पत्तों के बीच अपनी सुरक्षा के लिहाज से हरा रंग धारण कर लेता है जिससे वह शिकारी जीव या अपने शिकार की नजर से बच जाता है.

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यही कारण है कि प्रकृति ने गिरगिट को रंग बदलने की अनोखी क्षमता दी है.

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