संसद की सुरक्षा तीन लेयर में की जाती है. पहले लेयर में भवन के बाहर की सुरक्षा होती है. दिल्ली पुलिस बाहरी सुरक्षा को देखती है.
दूसरा स्तर पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप का होता है, वहीं तीसरा स्तर पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस का होता है. पार्लियामेंट बिल्डिंग की सिक्योरिटी सीआरपीएफ करती है.
पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस के जिम्मे सभी सांसदों की पहचान करना, उनके सामान की जांच करना होता है. यही वह स्तर होता है, जहां आम लोगों की गहनता से जांच की जाती है.
ज्वाइंट सिक्योरिटी सेक्रेटरी संसद की पूरी सुरक्षा के प्रमुख होते हैं. संसद की सुरक्षा में लगी सारी एजेंसियां इन्हीं को रिपोर्ट करती हैं.
लोकसभा और राज्यसभा में अपने-अपने डायरेक्टर सिक्योरिटी होते हैं.
विजिटर पास के लिए लोकसभा सचिवालय के फार्म पर सांसद का रिकमेंडेशन सिग्नेचर जरूरी होता है.
जिस व्यक्ति को विजिटर पास के लिए अंदर जाना होता है, अपने साथ आधार कार्ड उसको लाना जरूरी होता है.
सबसे पहले विजिटर रिसेप्शन के जरिए अंदर घुसता है. उसको रिसेप्शन पर मौजूद सुरक्षा गार्ड चेक करता है. रिसेप्शन पर फोटो आईडी कार्ड बनता है. मोबाइल को रिसेप्शन पर रखना होता है.
फोटो आइडेंटिटी कार्ड के जरिए सिक्योरिटी कमांडो के साथ विजिटर गैलरी तक विजिटर जाता है. इसका टाइम पीरियड दिया जाता है कि इतने समय तक ही व्यक्ति विजिटर गैलरी में रूक सकता है.
नए संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगाया गया है. यह सिस्टम दूर से ही संदिग्ध की पहचान कर लेता है. एक मजबूत फायर अलार्म सिस्टम भी लगाया गया है.