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तलाक के बाद जब पति या पत्नी दूसरे व्यक्ति को गुजारा भत्ता दे तो उसे एलिमनी कहा जाता है.
भारत में एलिमनी को लेकर कोई ठोस कानून तो नहीं है. लेकिन अदालत ने अलग-अलग मौकों पर जरूरी एलिमनी का आदेश जरूर दिया है.
एलिमनी दो तरह की होती है और अकसर पत्नी को दी जाती है. क्योंकि उसकी आय पति से कम होती है या बिल्कुल नहीं होती.
या तो तलाक से समय पति अपनी पत्नी को एक बार में एलिमनी दे देता है. यह पति की पूरी जायदाद का 25 या 33 प्रतिशत हो सकता है.
या फिर पति उसे मासिक/सालाना रूप से गुजारा भत्ता देता है. यह पूरी तरह से कोर्ट के आदेश पर निर्भर है.
एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि तलाक होने पर पति को अपनी तनख्वाह का 25% अपनी पत्नी को एलिमनी के तौर पर देना होगा.
यहां ध्यान देने वाली बात है कि अगर पत्नी खुद अच्छे पैसे कमा रही है तो कोर्ट इसके आधार पर एलिमनी की रकम में बदलाव कर सकती है.
साथ ही अगर पत्नी की कमाई पति से ज्यादा है तो वह भी अदालत से एलिमनी की अपील कर सकता है.
अगर कोई शादी 10 साल से ज्यादा चलती है तो पति को जीवनभर एलिमनी देनी पड़ सकती है.