प्लेन में बैठकर अक्सर कई लोग ये सोचते हैं कि आखिर पायलट को रूट कैसे पता चलता है.
कितनी ऊंचाई पर जाना है या कहां प्लेन को लैंड करना है? ये सवाल भी आपके मन में आ सकते हैं.
दरअसल, जब प्लेन उड़ता है तो रेडियो और रेडार के माध्यम से पायलट को रास्ता मालूम पड़ता है.
वहीं एयर ट्रैफिक कंट्रोल भी होता है, जो पायलट को निर्देश देता है कि उसे किस दिशा में जाना चाहिए या कहां नहीं.
इनकी मदद से पायलट अपनी मंजिल तक पहुंचता है.
इन दोनों के अलावा, होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का भी इस्तेमाल किया जाता है.
होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर को देखकर पायलट अपना रास्ता चुन सकता है.
इतना ही नहीं पायलट मौसम को भी देखता है और निर्णय लेता है.
इन सबकी मदद से हर दिन हजारों लोग अपनी मंजिल तक प्लेन से पहुंचते हैं.