हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि मनाने की परंपरा है.
हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि मनाने की परंपरा है.
नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए आपको स्वच्छ मिट्टी, तांबे का कलश, कलावा, जौ, मिट्टी का पात्र या थाली, लाल कपड़ा नारियल, आम या अशोक के पत्ते, सिक्का, चावल, गंगाजल, और मिठाई आदि की जरूरत पड़ती है.
नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें. कलश स्थापना के लिए किसी स्टील की थाली और मिट्टी के पात्र में पवित्र मिट्टी रखें और उसमें जौ बोएं.
कलश स्थापना घर की ईशान कोण दिशा में करना बहुत शुभ माना जाता है. जौ बोने के बाद पूजा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा को रखें.
अब एक तांबे के लोटे या फिर मिट्टी के कलश में गंगाजल भरकर उसमें सिक्का, अक्षत, सुपारी, दूर्वा घास, लौंग का जोड़ा डालें और कलश के मुख पर मौली जरूर बांधें.
इसके बाद, कलश में आम के पत्ते लगाकर उसके ऊपर नारियल रखें. अब जौ वाले पात्र में कलश को स्थापित करें और इस पात्र को मां दुर्गा की चौकी के दायीं ओर स्थापित करें.
इस तरह से कलश स्थापन के बाद मां दुर्गा का आह्वान करें और विधि-विधान से मां की पूजा करके नवरात्रि त्योहार की शुरुआत करें.
नवरात्रि में माता की पूजा करने से उत्तम फल मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.