भारत में कैसे लें तलाक?

अगर पति-पत्नी का रिश्ता टूटने की कगार पर है तो आप तलाक का रास्ता अपना सकते हैं. 

हिंदू मैरिज एक्ट 1955, के सेक्शन 13B में आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया का जिक्र किया गया है. 

तलाक दो तरह के होते हैं- आपसी सहमति से और एकतरफा तलाक. 

शादी के बाद अगर पति-पत्नी अपनी इच्छा से एक-दूसरे से अलग होने का फैसला कर लेते हैं, तो इसे आपसी सहमति से तलाक कहा जाता है.

वहीं, अगर पति-पत्नी में से कोई एक व्यक्ति शादी को खत्म करना चाहता है और तलाक लेना चाहता है, तो इसे एकतरफा तलाक कहा जाता है.

तलाक लेने के लिए आप फैमिली कोर्ट जा सकते हैं. 

अगर फैमिली कोर्ट में आपका तलाक नहीं होता है तो आप कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं. 

कोर्ट में पति और पत्नी दोनों पक्षों के तीन महीने के लिखित बयान दर्ज किए जाते हैं.

इसके बाद कोर्ट दोनों पक्षों की सुनवाई करता है. 

तलाक के सभी दस्तावेजों और सबूतों की जांच करता है और उसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाता है.