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पितृपक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू होने वाला है, वहीं इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. ऐसा माना जाता है कि इस समय पूर्वजों का धरती पर आगमन होता है.
शास्त्रों में माना जाता है कि देवताओं के साथ कौवे ने भी अमृत चखा था.
साथ ही कौवे को यम का प्रतीक भी माना जाता है और इस दौरान कौवे का होना पितरों के आस पास होने का संकेत माना जाता है.
मान्यता है कि पितृपक्ष में पूरे 15 दिनों तक कौवे को भोजन कराना चाहिए. इससे हमारे पूर्वज खुश होते हैं और आर्शीवाद देते हैं.
कौवे द्वारा ग्रहण किया गया भोजन पितरों तक पहुंचता है और पितरों को मोक्ष मिलता है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है.
पीपल के वृक्ष को भी पितरों का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान पीपल की पूजा अर्चना करना बेहद शुभ और फलदाई माना जाता है.
मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान घर में कोई भी नई वस्तु नहीं लानी चाहिए.