वेश्याओं के आंगन की मिट्टी से बनती है दुर्गा प्रतिमा

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नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा को समर्पित है. लेकिन क्या आपको पता है कि मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण वेश्यालय की मिट्टी भीख में मांगकर किया जाता है. चलिए इसके पीछे की कहानी बताते हैं.

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ऐसा माना जाता है कि बिना वेश्यालय की मिट्टी के मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण अधूरा माना जाता है.

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पौराणिक कथा के मुताबिक एक वेश्या मां दुर्गा की बड़ी भक्त थी. लेकिन समाज में उसका तिरस्कार होता था.

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मां दुर्गा ने उस वेश्या को वरदान दिया कि जब तक उनकी प्रतिमा में वेश्यालय की मिट्टी नहीं डाली जाएगी, तब तक देवी उस प्रतिमा में वास नहीं करेंगी.

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इसके अलावा कहा जाता है कि जब कोई पुरुष वेश्यालय में जाता है तो वो अपने पुण्य और गुण चौखट पर ही छोड़ देता है. इसलिए यहां की मिट्टी को पवित्र माना जाता है.

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मान्यता है कि समाज में वेश्याओं की महत्ता बढ़ाने और उन्हें पवित्र माना जाए, इसके लिए प्रतिमा में वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है.

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कहा जाता है कि कोई भी इस मिट्टी को खरीद नहीं सकता है, प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार वेश्यालय जाकर वेश्याओं से भीख में मांग कर उनके आंगन की मिट्टी लाते हैं.

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अगर वेश्या मिट्टी देने से इनकार कर देती है तो मूर्तिकार जबरदस्ती नहीं कर सकता है. स्वेच्छा से मिट्टी देने पर ही प्रतिमा का निर्माण पूरा माना जाता है.

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वेश्याओं के आंगन की मिट्टी के अलावा मां दुर्गा की प्रतिमा में गंगा की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर का होना अनिवार्य माना जाता है.

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