शालिग्राम शिलाओं से अयोध्या में भगवान राम की भव्य, दिव्य और अलौकिक मूर्ति बनाई जाएगी. बताते चलें कि शालिग्राम की शिलाएं आम पत्थर नहीं हैं बल्कि इन्हें देवशिला भी कहा जाता है.
शालिग्राम शिलाएं भगवान विष्णु का ही रूप मानी जाती हैं. ये भगवान विष्णु विग्रह रूप है, जिसकी जिक्र पद्मपुराण में मिलता है.
पौराणिक कथा की मानें तो माता तुलसी के श्राप की वजह से श्री हरि विष्णु हृदयहीन शिला में बदल गए थे. उनके इसी रूप को शालिग्राम कहा गया.
शालिग्राम नेपाल के गण्डक या नारायणी नदी की तली में पाए जाते हैं. यहां पर सालग्राम नाम की एक जगह पर भगवान विष्णु का मंदिर है, जहां उनके इस रूप का पूजन होता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने छल करके राक्षस जालंधर का वध कर दिया था जिसके बाद राक्षस की पत्नी वृंदा से विष्णु जी को श्राप दिया था. वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दिया था.
इसके बाद भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया था कि तुम्हारे सतीत्व का फल है कि तुम तुलसी का पौधा बनकर और गंडक नदी बनकर मेरे साथ रहोगी.
यही वजह है कि शालिग्राम सिर्फ नेपाल में स्थित गंडक नदी में मिलते हैं.
वैज्ञानिक आधार पर शालिग्राम की बात करें तो ये एक तरह का जीवाश्म पत्थर होता है. इसे जीव वैज्ञानिक एमोनोइड जीवाश्म कहते हैं.
शालिग्राम पत्थर काले, गोल, अण्डाकार, सुनहरी आभा लिए हुए कई तरह के होते हैं. उनके अलग-अलग रूप का संबंध भगवान विष्णु के विविध रूपों से माना जाता है.