भारत ने दुनिया के कई देशों में अपना मिलिट्री बेस बना रखा है, ताकि दुश्मन देशों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
ताजिकिस्तान में दुशांबे से 130 किमी दूर फरखोर में भारतीय मिलिट्री का एयर बेस है. ये पहला मिलिट्री बेस था, जिसे भारत ने देश से बाहर बनाया था.
इस बेस पर एयरफोर्स का सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट तैनात है. इस बेस को संचालित करने में ताजिकिस्तान की एयरफोर्स की मदद मिलती है.
भूटान में भारत का सैन्य बेस एक स्थाई ट्रेनिंग सेंटर है. इसे साल 1961-62 में बनाया गया था. यहां रॉयल भूटान आर्मी की ट्रेनिंग होती है.
भूटान में रक्षा मंत्री नहीं होता है. इसलिए इस बेस का कमांडेंट भूटान के राजा को रक्षा मामलों में सलाह देता है.
साल 2007 में भारत ने मेडागास्कर में लिसनिंग पोस्ट और एक रडार फैसिलिटी बनाया था. इससे हिंद महासागर में जहाजों पर नजर रखी जाती है.
इसका इस्तेमाल मेडागास्कर की सेना भी करती है. हालांकि ज्यादा मजबूत नहीं होने की वजह से मेडागास्कर की सेना को भारतीय सेना मदद देती है.
भारत ने मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर कोस्टल सर्विलांस राडार सिस्टम लगाया है. ये पूरा आईलैंड भारतीय मिलिट्री बेस है.
इस मिलिट्री बेस को बनाने का मकसद भारत और मॉरीशस के बीच सैन्य सहायता स्थापित करना था. इस जगह से बड़े समुद्री इलाके की निगरानी की जाती है.
ओमान के रास अल हद में भारतीय मिलिट्री ने लिसनिंग पोस्ट बनाया है. मस्कट नौसैनिक बेस पर जहाजों, पनडुब्बियों को ईंधन की मदद मिलती है.