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भारत का परमाणु क्षेत्र पिछले 10 वर्षों में उल्लेखनीय रूप से विकसित हुआ है. परमाणु रिएक्टर से बिजली उत्पादन 2014 में 4780 मेगावाट से बढ़कर 2024 में 8180 मेगावाट हो गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित समझौतों और केंद्रीय बजट में आवंटन में वृद्धि के बाद भारत के परमाणु क्षेत्र में और तेजी आने की संभावना है.
भारत 2031-32 तक महत्वाकांक्षी 22480 मेगावाट का लक्ष्य बना रहा है. भारत अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने के लिए परमाणु ऊर्जा का भी लाभ उठा रहा है.
भारत के पास विश्व का 21 प्रतिशत थोरियम भंडार है, जो इसे भविष्य में परमाणु ऊर्जा विकास के लिए सबसे अधिक संसाधन संपन्न देशों में से एक बनाता है.
भारत के छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) परमाणु ऊर्जा तैनात करने के तरीके को बदल रहे हैं.
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के विकास में तेजी लाने के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 में 20,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
2033 तक कम से कम 5 स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर को डिजाइन और संचालित करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य है.
जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र 10 गीगावॉट बिजली पैदा करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा स्टेशन बनने के लिए तैयार है.
इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) परियोजना के पूर्ण सदस्य के रूप में भारत परियोजना की लागत का 9 प्रतिशत योगदान देता है और अनुसंधान व इंजीनियरिंग में सक्रिय रूप से शामिल है.