सूर्य किरण भारतीय वायु सेना की करतब दिखाने वाली टीम है.
1996 में सूर्य किरण एरोबैटिक टीम (SKAT) का गठन किया गया था. यह IAF के 52वें स्क्वाड्रन का हिस्सा है.
2011 तक स्क्वाड्रन HAL HJT-16 किरण Mk.2 सैन्य ट्रेनर विमान से बना था और कर्नाटक के बीदर वायु सेना स्टेशन पर इसका बेस था.
सूर्यकिरण टीम को फरवरी 2011 में निलंबित कर दिया गया था और 2017 में हॉक एमके-132 एयरक्राफ्ट के साथ फिर से स्थापित किया गया था.
भारतीय वायु सेना के लिए एयरोबेटिक्स बनाना कोई नई बात नहीं है. 1944 की शुरुआत में, भारतीय वायुसेना के पास एक डिस्प्ले फ्लाइट थी.
लेकिन 1982 में भारतीय वायुसेना की स्वर्ण जयंती पर अलग-अलग स्क्वाड्रनों से चुने गए लड़ाकू पायलटों ने भारतीय वायुसेना के लिए 'द थंडरबोल्ट्स' नामक एरोबेटिक टीम बनाई.
ब्लू एंड व्हाइट हंटर फाइटर बॉम्बर उड़ते हुए, इस टीम ने लगभग एक दशक तक परफॉर्म किया.
1996 की शुरुआत में, AVIA-96 के लिए गंभीर योजना शुरू हुई, जो भारत में अब तक का पहला प्रमुख एयर शो और एविएशन ट्रेड इवेंट था.
शुरुआत में आयोजक विदेशों से एरोबेटिक टीम को लाना चाहती थी, लेकिन कुछ आईएएफ अधिकारियों को भरोसा था भारत इसमें परफॉर्म कर सकता है.
इसी तरह वर्तमान की सूर्य किरण टीम का जन्म हुआ.
एरोबेटिक टीम खुद को बेहतर करने के लिए साल में लगभग छह महीने प्रैक्टिस करती है.
प्रत्येक विमान हर डिस्प्ले में लगभग 500 किलोग्राम फ्यूल का उपयोग करता है. ये विमान लगभग 600 किमी/घंटा की स्पीड से उड़ते हैं.
जब विमान व्यक्तिगत रूप से उड़ान भर रहा होता है, तो पायलट 5G से 6G का अनुभव करते हैं और जब एक साथ डिस्प्ले करते हैं, तो पायलट 4G तक का अनुभव करते हैं.