तुर्की में 6 फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप (Turkey Earthquake)के बाद वहां के हालात और बदतर होते जा रहे हैं.
सीरियाई सीमा के पास गाजियांटेप प्रांत में नूरदगी से लगभग 23 किलोमीटर पूर्व में कहारनमारस के तुर्की प्रांत में 7.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया.
इसके बाद नौ घंटे बाद 7.5 तीव्रता का भूकंप आया.ये जलजला लाखों लोगों को जिंदगी भर के ऐसे जख़्म दे गया है, जिन्हे अब शायद ही कोई मरहम भर सके.
भारतीय जवान वहां बेसहारा हो चुके लोगों का सहारा बने हुए हैं. उनके आंसू पोछ रहे हैं और हर संभव मदद भी कर रहे हैं.
NDRF की टीम मलबे से लोगों को बचाने में जुटी हैं और भारतीय सेना घायलों का इलाज कर रही है. आपदा की इस घड़ी में इंडियन आर्मी और NDRF तुर्किए के लोगों के लिए मसीहा बने हैं.
तुर्किए और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में अब तक करीब 22 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अकेले तुर्किए में ही करीब 15 हज़ार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि 50 हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हैं.
भारत ने इसके लिए "ऑपरेशन दोस्त" चलाया है. ऑपरेशन दोस्त के हिस्से के रूप में, भारत तुर्की और सीरिया के भूकंप प्रभावित देशों में एक फील्ड अस्पताल, आपूर्ति और बचाव कर्मियों को तैनात कर रहा है.
भारत ने भारतीय वायु सेना के सी-130 जे विमान में सवार राहत सामग्री भी सीरिया भेजी है.भारत की तरफ से 152 कर्मियों वाली एनडीआरएफ की तीन टीमें तुर्की भेजी गई हैं
इस विनाशकारी भूकंप ने तुर्की को करीब 10 फीट (5-6 मीटर) तक खिसका दिया है. इस आपदा में हज़ारों इमारतों को नुकसान पहुंचा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भूकंप से दो करोड़ 30 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.
भूकंप के चलते तुर्की के अंटाक्या, सनलिउरफा और सीरिया का अलेप्पो शहर पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. यहां पानी और बिजली की सप्लाई भी बंद है. लोग शेल्टर होम्स में रहने को मजबूर हैं. यहां खाने की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं.
मलबे के ढेर से जिंदगियों को बचाने के लिए भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीमें मोर्चा संभाले हुए हैं.