अक्सर ऐसा होता है कि ट्रेन में सफर करने वाले मुसाफिर अपने अधिकार नहीं जानने की वजह से दिक्कतों का सामना करते हैं.
ट्रेन में सफर करने वाले मुसाफिरों के कुछ ऐसे अधिकार हैं, जिनको जानना हर मुसाफिर के सफर को आसान बना सकता है.
ट्रेन में 'नो बिल, नो पेमेंट' पॉलिसी लागू रहती है. अगर कोई विक्रेता बिल नहीं देता है तो मुसाफिर बिना पेमेंट किए मुफ्त में सामान ले सकता है.
अगर जल्दबाजी में हैं तो प्लेटफॉर्म टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ सकते हैं. इसके बाद टीटीई के पास जाकर टिकट बनवा सकते हैं.
अगर ट्रेन में पानी नहीं है, टॉयलेट गंदा है, पंखा या लाइट खराब है तो इसके लिए टीटीई से शिकायत कर सकते हैं.
अगर ट्रेन 3 घंटे से ज्यादा लेट है और आप उसमें सफर नहीं करना चाहते हैं तो पूरा रिफंड वापस ले सकते हैं.
ई-टिक बुक करने वाले मुसाफिर 24 घंटे पहले तक बोर्डिंग स्टेशन बदल सकते हैं. लेकिन बोर्डिंग स्टेशन एक बार ही बदला जा सकता है.
मुसाफिर के कंफर्म टिकट पर माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी या जीवनसाथी सफर कर सकते हैं. इसके लिए टिकट ट्रांसफर करना होगा.
कंफर्म टिकट का ट्रांसफर उसी स्टेशन से होगा, जहां से ट्रेन शुरू होती है. इसलिए इसका फायदा ट्रेन शुरू होने वाले स्टेशन के मुसाफिर ही उठा पाते हैं.
हर ट्रेन में फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा होती है. अगर किसी मुसाफिर को कोई दिक्कत होती है तो वो इसकी मांग कर सकता है.
अगर आपने ऑनलाइन टिकट लिया है और आपके पास टिकट नहीं और मैसेज भी नहीं है तो भी आप सफर कर सकते हैं. इसके लिए आपके पास वैलिड आई-कार्ड होना चाहिए.