दिल्ली में चांदनी चौक का निर्माण 17वीं सदी में करीब 1650 ईसवीं में किया गया था.
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कहा जाता है कि शाहजहां की बेटी जहांआरा को बाजार से चीजें खरीदने का शौक था. इसलिए उन्होंने बेटी के लिए चांदनी चौक बनवाया था.
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चांदनी चौक को चौकोर आकार में बनवाया गया था. इसके केंद्र में एक तालाब था. जो चांदनी रात में चमकता था. इसलिए इसका नाम चांदनी चौक पड़ा.
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चांदनी चौक में 1560 दुकानें थीं. ये बाजार 40 गज चौड़ा और 1520 गज से लंबा था.
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साल 1950 के दशक में चांदनी चौक के बीच के तालाब को घंटाघर से बदल दिया गया.
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चांदनी चौक एक समय में भारत का सबसे बड़ा बाजार था. मुगल शाही जुलूस चांदनी चौक से गुजरते थे.
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साल 1863 में ब्रिटिश सरकार ने चांदनी चौक के पास दिल्ली टाउन हॉल बना दिया.
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यहां दिगंबर जैन लाल मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, आर्य समाज दीवान हॉल, सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च, गुरुद्वारा सीस गंज भी है.
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चांदनी चौक का कई फिल्मों जैसे 'कभी खुशी कभी गम', 'ब्लैक एंड व्हाइट', 'चांदनी चौक टू चाइना' में जिक्र है.
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