सवाई जय सिंह द्वारा बनवाया गया जंतर मंतर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है.
यहां मौजूदा उपकरण बेहद प्राचीन होकर भी आधुनिकता का प्रमाण देते हैं.
इन उपकरणों से समय को मापा जाता है, भविष्य में आने वाले ग्रहण के बारे में पता लगाया जाता है और तारों की गति का अंदाजा लगाया जाता है.
इस वेधशाला का निर्माण कार्य 1724 ई. में शुरु किया गया था.
राजा ने पांच जगहों पर खगोलीय वेधशालाऐं बनवाई थीं जो जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा व बनारस में हैं.
इन सभी में जयपुर का जंतर-मंतर सबसे बड़ा है.
इसे बनने में दस साल का समय लगा था. यहां मौजूदा सभी उपकरण पत्थरों से बने हैं.
यह विशाल वेधशाला करीब 18,700 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है.
यहां 14 विशेष खगोलीय यंत्र रखे गए हैं, जो कि तारे एवं गति की स्थिति जानने, समय मापने, मौसम की स्थिति जानने जैसी तमाम गतिविधियों की जानकारी हासिल करने में मदद करते हैं.
इस जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी है, जिसका नाम बृहत सम्राट यंत्र है.