शीशा टूटने को एक अंधविश्वास से जोड़कर देखा जाता है. ये सदियों से चला आ रहा है.
बहुत से लोग मानते हैं कि शीशा टूटने से गरीबी घर आती है. और ये सात साल तक चल सकती है.
इस मिथक के पीछे कई सारी प्रचलित बाते हैं. ये कई सदियों से चली आ रही हैं.
शीशे में हम अपनी आत्मा को देख सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि इसे तोड़ने से हमारी आत्मा टूटती है. और इससे दुर्भाग्य आता है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो शीशे कांच से बने होते हैं, और उन्हें तोड़ने से नुकीले टुकड़े बिखर सकते हैं, जिससे चोट लग सकती है.
शीशे कांच के दो टुकड़ों से बने होते हैं जिन पर चांदी या एल्यूमीनियम जैसे रिफ्लेक्टिव मटेरियल की परत चढ़ी होती है.
हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर ऐसा कोई प्रूफ नहीं है कि शीशा टूटने से दुर्भाग्य आता है.
शीशे को तोड़ने का अंधविश्वास कई संस्कृतियों में जुड़ा हुआ है, और इसे अक्सर साहित्य और लोकप्रिय संस्कृति में दुर्भाग्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
लेकिन कुछ का मानना है कि शीशे का टूटना वास्तव में सौभाग्य ला सकता है और यह एक नई शुरुआत का संकेत है.