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टाटा ग्रुप को कौन नहीं जानता. नमक से लेकर ट्रक तक बनाने इस ग्रुप का सामान पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है.
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देश में शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां इस ग्रुप की पहुंच न हो.
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एजुकेशन, डिफेंस, कंज्यूमर एंड रिटेल, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, ऑटोमोटिव, स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म एंड ट्रैवल, एयरोस्पेस एंड डिफेंस समेत तमाम सेक्टर में इस ग्रुप की मौजूदगी है.
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3 मार्च 1839 को गुजरात के नवसारी में जन्मे जमशेदजी आज ही के दिन 19 मई, 1904 को दुनिया को अलविदा कह गए थे. ऐसे में हम आपको उनके बारे में अनसुनी बातें बताएंगे.
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14 साल की उम्र से ही उन्होंने अपने पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. मुंबई से ही ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की और 1868 में पहला वेंचर शुरू किया.
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जमशेदजी टाटा ने 21,000 रुपये के निवेश से ट्रेडिंग कंपनी शुरू की थी. इसके बाद इंग्लैंड चले गए
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इंग्लैंड से कपड़ा व्यापार की समझ लेकर लौटने के बाद उन्होंने कपड़े के व्यापार में हाथ आजमाया. इसके बाद दिवालिया हो चुकी तेल मिल को खरीदा.
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जमशेदजी टाटा ने टाटा स्टील, ताज होटल, IISC Bangalore जैसे ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की. बता दें कि देश को पहली बड़ी स्टील कंपनी, पहला लग्जरी होटल, पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी टाटा ग्रुप ग्रुप ने ही दी थी.
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ग्रुप को बड़े मुकाम तक लाने में सबसे प्रमुख भूमिका ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा की रही. उन्हें भारतीय उद्योग का पिता कहा जाता है.
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