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कभी देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कही जाने वाली जेट एयरवेज अब बंद हो चुकी है. पंजाब के रहने वाले नरेश गोयल ने इसकी शुरुआत की थी.
पंजाब के रहने वाले नरेश गोयल ने अपने करियर की शरुआत एक रिश्तेदार की ट्रेवल एजेंसी में कैशियर से की थी. एक समय में वे 300 रुपये महीना कमाते थे. इस दौरान उन्होंने कई एयरलाइन कंपनियों के अधिकारियों से जान-पहचान बनाई.
1990 में नरेश गोयल ने अपने कनेक्शन के दम पर एक छोटा विमान खरीदा. इसके बाद 1993 में जेट एयरवेज ने एयर टैक्सी के रूप में काम शुरू किया.
2004 में चेन्नई से कोलंबो के बीच जेट एयरवेज ने पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरी. ये 2006 तक देश की सबसे बड़ी घरेलू विमान कंपनी बन गई थी.
लेकिन, इसके पतन के सबसे बड़े दो कारण रहे. पहली बड़ी गलती उन्होंने 2007 में अपने प्रतिद्वंद्वी एयर सहारा को 1450 करोड़ रुपये में खरीद कर की. इसकी वजह से जेट एयरवेज को वित्तीय से लेकर कानूनी तौर पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ा.
दूसरी सबसे बड़ी गलती 10 वाइड-बॉडी एयरबस ए330 और बोइंग 777 की मिक्स्ड फ्लीट खरीदने की थी. जिसके कारण खर्चा काफी बढ़ गया.
नरेश गोयल ने सीटों को घटाकर 308 कर दिया जबकि अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड 400 था. इस चक्कर में बहुत बड़ा रेवेन्यू उनके हाथ से निकल गया. 2011-12 में पहली बार कंपनी को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा. इसके बाद कंपनी का पतन शुरू हो गया.
जेट एयरवेज को 1036 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. अप्रैल 2019 में कंपनी ने अपनी सारी उड़ाने रोक दी. नरेश गोयल की हिस्सेदारी 50.1 फीसदी से घटकर इसकी आधी रह गई. इससे कर्जधाताओं के पास जेट की आधी हिस्सेदारी पहुंच गई.
कंपनी ने बैंक से कर्ज मांगा पर बैंक ने मना कर दिया. टाटा इसमें इन्वेस्ट करने को तैयार थे पर गोयल ने मना कर दिया. कंपनी के पास अब अपने पायलट और कर्मचारियों के वेतन तक के पैसे नहीं थे.
लगातार होते लॉस से कंपनी अपना कर्ज की किस्ते चुकाने में नाकाम होने लगी और आखिरकार 2019 में कंपनी दिवालिया घोषित हो गई.
कुछ समय बाद, कंपनी के फाउंडर और प्रमोटर नरेश गोयल पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे और उन्हें जेल में डाल दिया गया और जेट एयरवेज की उड़ानें बंद हो गई.