तस्वीरें: कैलाश चौधरी
राजस्थान में कोटपुतली के कीरतपुरा गांव के रहने वाले कैलाश चौधरी न सिर्फ एक किसान हैं बल्कि एक उद्यमी भी हैं. पिछले 60 सालों से खेती कर रहे कैलाश, आज अपनी खुद की कंपनी Vedanta Organic भी चला रहे हैं.
कैलाश मात्र 10वीं पास हैं लेकिन उनकी मार्केटिंग स्किल्स ऐसी हैं कि बड़े-बड़े लोग उनकी दाद देते हैं. हमेशा से खेती में कुछ नया करने की चाह रखने वाले कैलाश ने कई सालों तक परांपरगत खेती करने के बाद साल 1994 से जैविक खेती करना शुरू किया था.
कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से उन्होंने अपने खेतों में ही हरी खाद, जीवामृत और कीटप्रतिरोधक आदि बनाना सीखा. हालांकि, सामान्य खेती में ज्यादा बचत न देखते हुए उन्होंने केवीके की सलाह पर बागवानी शुरू की.
साल 1998 में उन्हें केवीके से 80 आंवले के पेड़ मिले, जिन्हें उन्होंने अपने खेतों में लगाया. इनमें से 60 पेड़ अच्छी तरह से फले-फूले और लगभग तीन साल में फल देने लगे. हालांकि, जब वह अपने फल लेकर मंडी पहुंचे तो उन्हें कोई खरीददार नहीं मिला.
खरीददार न मिलने से उनके आंवले कुछ दिन में खराब हो गए और कैलाश को बहुत नुकसान हुआ. लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय इस समस्या का हल तलाशने पर फोकस किया और उनकी तलाश उन्हें यूपी के प्रतापगढ़ ले गई जहां महिलाएं आंवले से तरह-तरह के फूड प्रोडक्ट्स बना रही थीं.
आंवले की प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने साल 2002 से खुद आंवले के उत्पाद बनाना शुरू कर दिया. हालांकि, बाजार की समस्या अभी भी थी. उन्हें कोटपूतली में मार्केट नहीं मिली तो वह जयपुर पहुंचे और यहां पंत कृषि भवन में अपना स्टॉल लगाना शुरू किया.
उनके फूड प्रोडक्ट्स इतने अच्छे थे कि हाथों-हाथ बिकने लगे और इससे कैलाश चौधरी का मनोबल बढ़ा. इस सफलता के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पूरी तरह से आंवले की जैविक खेती करने लगे.
उन्होंने अपने खेतों में आंवला की प्रोसेसिंग युनिट लगाई. जहां आंवले के लड्डू, कैंडी, मुरब्बा, जूस और पाउडर जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं. अपने आंवला प्रोडक्ट्स को वह अपनी कंपनी Vedanta Organic के माध्यम से मार्केट कर रहे हैं. उनके प्रोडक्ट्स अमेजन जैसी वेबसाइट्स पर भी उपलब्ध हैं.
कैलाश चौधरी ने बताया कि उन्होंने मार्केटिंग का गुर सालों पहले जयपुर में एक अनाज व्यापारी से सीखा था. अपनी फसल की मार्केटिंग कैसे करें, सिर्फ यह सीखने के लिए उन्होंने उस व्यापारी के यहां पल्लेदारी का काम किया और जाना कि कैसे किसान अपनी फसल की खुद प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करके ज्यादा मुनाफा कमा सकता है.
अपने इस अनुभव को कैलाश चौधरी आज तक इस्तेमाल कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं. अपनी खेती और उद्यम से लगभग डेढ करोड़ रुपए तक की कमाई कर रहे हैं. दूसरे किसानों को भी वह जैविक खेती और प्रोसेसिंग से जुड़ने की सलाह देते हैं.
कैलाश चौधरी आज देशभर में 'मार्केटिंग गुरु' के नाम से मशहूर हैं. किसानों को सफलता का वह सिर्फ एक ही मूलमंत्र बताते हैं- मेहनत, दूरदृष्टि और पक्का इरादा.