कारगिल के इन वीरों को कभी नहीं भुला सकता है हिंदुस्तान
कारगिल युद्ध में अपनी जान की बाजी लगाने वाले वीरों के सम्मान में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.
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यह दिन साल 1999 में भारतीय सशस्त्र बलों को ऑपरेशन विजय की जीत का प्रतीक है. भारतीय सेना ने लद्दाख के कारगिल युद्धक्षेत्र से पाकिस्तानी सेना को उखाड़ फेंका था.
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आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे वीरों के बारे में जो इस युद्ध में वीरता से लड़े और इतिहास रच गए.
लेफ्टिनेंट बलवान सिंह को 'टाइगर हिल के टाइगर' के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने टाइगर हिल पर दोबारा भारत का कब्जा जमाया था और यहां भारतीय तिरंगा फहराया. बाद में उनकी बहादुरी के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
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'टाइगर ऑफ द्रास' के नाम से मशहूर कैप्टन विक्रम बत्रा 24 साल की उम्र में 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए. उन्हें मरणोपरांत युद्धकालीन सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया.
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नायक दिगेंद्र कुमार ने टोलोलिंग पीक पर भारत को जीत दिलाई और पाकिस्तानी सेना को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था. टोलोलिंग 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
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ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. 1999 में नायब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव को भारत के सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
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लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे 1/11 गोरखा राइफल्स के जवान थे. वह युद्ध में शहीद हुए और उन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया.
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राइफलमैन संजय कुमार ने मुश्कोह घाटी में प्वाइंट 4875 के फ्लैट टॉप क्षेत्र पर कब्जा करने से दुश्मन को रोका था.
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मेजर सौरभ कालिया को युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के जवानों ने पकड़ लिया था और 24 दिनों तक प्रताड़ित किया और बाद में उनके क्षत-विक्षत शव पाकिस्तानी सेना ने सौंप दिए.