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हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाने का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं तिलक लगाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
कई लोग देवी-देवताओं की पूजा करने के दौरान अपने माथे पर तिलक लगाते समय कुछ गलतियां कर देते हैं. इससे उन्हें तिलक लगाने का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है.
आप जब भी पूजा करें और तिलक लगाएं तो यह काम स्नान के बाद ही करें और नहाने के बाद साफ कपडे़ भी पहन लें.
यदि आप बिना नहाए और गंदे कपड़े पहनकर तिलक लगाते हैं तो इसका असर कम हो जाता है और आपको शुभ फल भी नहीं मिलता है. हमेशा स्नान करने के बाद ही पूजा करें और उसी दौरान तिलक लगाएं.
तिलक हमेशा अनामिका (रिंग फिंगर) से लगाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. तिलक की रेखा सीधी और पूरी होनी चाहिए. टूटा-फूटा या आधा-अधूरा तिलक अशुभ माना जाता है.
कभी-कभी अंगूठे से भी तिलक लगाया जाता है लेकिन तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) से तिलक नहीं लगाना चाहिए.
तिलक लगाने का सबसे अच्छा समय सुबह पूजा करने के बाद या किसी शुभ काम से पहले होता है. ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होता है.
इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप परेशान हैं या आपका मन अशांत है तो उस समय तिलक न लगाएं. तिलक लगाने के वक्त मन में शांति और श्रद्धा होनी चाहिए.
तिलक लगाने के लिए मंदिर, घर का पूजा स्थान या कोई साफ-सुथरी जगह सबसे ठीक रहती है. गंदी या अपवित्र जगह पर तिलक लगाना ठीक नहीं माना जाता है.
हर तिलक की अपनी अलग खासियत होती है. चंदन का तिलक ठंडक और शांति देता है. कुमकुम ऊर्जा और शक्ति देता है. भस्म साधुता और त्याग का संकेत है. केसर शुभता और समृद्धि लाता है.