18 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर झूल गया था भारत मां का यह सपूत

खुदीराम बोस एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए खुद को कुर्बान कर दिया. 

मात्र 18 वर्ष की उम्र में बोस फांसी के फंदे पर झूल गए थे. उन्हें देश के युवा क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है. 

पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर (तब मिदनापुर) जिले में बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1889 को हुआ था. 6 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी मां को खो दिया था और एक साल बाद ही अपने पिता को खो दिया था. 

बहुत छोटी उम्र से ही खुदीराम बोस कलकत्ता के बरिन्द्र कुमार घोष जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में आये. 

मात्र 15 वर्ष की आयू में वह स्वतंत्रता संग्राम में कुद पड़े और क्रांतिकारियों की मदद करने लगे.

खुदीराम ब्रिटिश विरोधी प्रचार वाले पर्चे बांट रहे थे जब अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ लिया था. इसके बाद उनका इरादा और पक्का हो गया. 

यह युवा क्रांतिकारी बहुत ही निडर था और उन्होंने मुजफ्फरपुर के जिला मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या करने का प्रयास किया.

18 साल की उम्र में बोस और उनके दोस्त प्रफुल्ल चाकी ने किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट भाग निकले. और दो अन्य महिलाओं की जान चली गई. 

इसके बाद, ब्रिटिश पुलिस ने खुदीराम बोस को पकड़ लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया. हत्या के प्रयास के लिए उन्हें 18 साल की छोटी उम्र में फांसी दे दी गई. 

खुदीराम बोस सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी.